DC Generator in Hindi (DC जनरेटर क्या है?)

 



इलेक्ट्रिकल पॉवर को अल्टरनेटिंग करंट (AC) में जेनेरेट करते है और उस पॉवर का ट्रांसमिशन अल्टरनेटिंग करंट (AC) में होता है या फिर बहोत सारे जगह पर AC को DC में बदलकर डायरेक्ट करंट (DC) में भी ट्रांसमिशन होता है. लेकिन सब जगह पर जैसे की हमारे घर में, इंडस्ट्रीज में AC का इस्तमाल किया जाता है और AC के फायदे जादा होने के कारण AC में इलेक्ट्रिकल एनर्जी का डिस्ट्रीब्यूशन किया जाता है, लेकिन DC का इस्तमाल भी बहोत सारे जगह पर किया जाता है जैसे की इलेक्ट्रोप्लेटिंग के लिए, ट्रैक्शन में, आर्क वेल्डिंग और आर्क लैंप के लिए. जहा पर कम वोल्टेज और करंट की जरुरत होती है, वहा पर बैटरी या फिर रेक्टिफायर का इस्तमाल करते है लेकिन जहा पर जादा वोल्टेज और करंट की जरुरत होती है वहा पर DC जेनेरटर का इस्तमाल किया जाता है.


What is DC Generator? 

(DC जेनेरटर क्या है?)

यह एक इलेक्ट्रोमैकेनिकल यंत्र है. इलेक्ट्रोमैकेनिकल का मतलब होता है, मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल देना या फिर इलेक्ट्रिकल एनर्जी को मैकेनिकल में बदल देना.

DC जेनेरटर मैकेनिकल एनर्जी को DC इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल देता है. मैकेनिकल एनर्जी को जेनेरटर के आर्मेचर को दिया जाता है, मतलब आर्मे चर को घुमाया जाता है और स्टेटर वाइंडिंग से इलेक्ट्रिकल एनर्जी को लिया जाता है.


Basic Principle of DC Generator 

(DC जेनेरटर का मूल सिधांत)

DC जेनेरेटर फेराडेज लॉ ऑफ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन (Faradays Law of Electromagnetic Induction) पर काम करता है, इस लॉ में दो कंडीशन्स होती है. पहली कंडीशन में स्टेटिक मैग्नेटिक फील्ड (यह मैग्नेटिक फील्ड कभी अपनी दिशा बदलती नहीं) को इलेक्ट्रोमैगनेट से तयार किया जाता है या फिर परमानेंट मैगनेट का इस्तमाल किया जाता है स्टेटिक मैग्नेटिक फील्ड के लिए. उस DC मैग्नेटिक फील्ड में कंडक्टर को घुमाया जाता है, कंडक्टर को घुमने के कारण कंडक्टर मैग्नेटिक फ्लक्स कट करता है और कंडक्टर में EMF इनडुस होता है, यह कंडीशन DC जेनेरटर में इस्तमाल करते है.

दूसरी कंडीशन में कंडक्टर को स्टेशनरी रखा जाता है और अल्टरनेटिंग मैग्नेटिक फील्ड (यह मैग्नेटिक फील्ड अपनी दिशा बदलते ही रहती है) का इस्तमाल किया जाता है. मैग्नेटिक फील्ड अल्टरनेटिंग होने के कारण कंडक्टर वह मैग्नेटिक फ्लक्स कट करता और कंडक्टर के अंदर EMF इनडुस होता है. यह कंडीशन ट्रांसफार्मर के लिए इस्तमाल की जाता है.

अब आप समज चुके होगे, कंडक्टर के अंदर EMF इनडूस होने के लिए कंडक्टर या फिर मैग्नेटिक फील्ड का घूमना जरुरी है. अगर DC मैग्नेटिक फील्ड है और कंडक्टर भी स्टेशनरी है तो EMF इनडुस नहीं होता है.


Parts of DC generator 

(DC जनरेटर के पार्ट्स)

मैग्नेटिक फील्ड सिस्टम, आर्मेचर कोर और आर्मेचर वाइंडिंग, कम्यूटेटर, ब्रशेस यह DC जनरेटर महत्वपूर्ण पार्ट होते है.

Magnetic Field System (मैग्नेटिक फील्ड सिस्टम)

यह एक स्टेशनरी हिस्सा है, इसके अंदर योक, फील्ड पोल, फील्ड कॉइल्स का समावेश होता है. योक जनरेटर का बाहरी हिस्सा है यह जनरेटर को धुल (Dust) से बचाता है, फील्ड पोल को सपोर्ट देता है, और यह फील्ड पोल से निकालने वाले मैग्नेटिक फ्लक्स का सर्किट पूरा करने का काम करता है. फील्ड पोल को योक के अंदर के सतह पर लगाया जाता है और उस पोल्स के ऊपर फील्ड कॉइल्स को लगाया जाता है.

Armature Core and Armature Winding 

(आर्मेचर कोर और आर्मेचर वाइंडिंग)

आर्मेचर कोर एक DC जनरेटर का मूविंग पार्ट है. कोर को बनाने के लिए सिलिकॉन स्टील से बनाई हुई पतली शीट्स यानि की स्टेम्पिंग का इस्तमाल किया जाता है, उन शीट्स का आकर गोल होता है लेकिन उन शीट्स पर स्लोट्स भी होते है, उन शीट्स को एकसाथ जोड़ा जाता है और शाफ्ट के ऊपर बिठाया जाता है. बादमे कॉपर से बनाई हुई कॉइल्स को उन स्लोट्स में डाला जाता है. आर्मेचर वाइंडिंग के दो टाइप्स होते है लैप वाइंडिंग (Lap Winding) और वेव वाइंडिंग (Wave Winding).

Commutator (कम्यूटेटर)

कम्यूटेटर को बनाने के लिए बहोत सारे हाइड्रोजन कॉपर के सेगमेंट का इस्तमाल किया जाता है. यह अल्टरनेटिंग करंट (AC) को डायरेक्ट करंट (DC) में बदल देता है. आर्मेचर कॉइल्स के अंदर EMF इनडूस होता है वह AC होता है लेकिन DC जनरेटर का आउटपुट DC होना चाहिये इसीलिए कम्यूटेटर का इस्तमाल करके AC को DC में बदल दिया जाता है.

Brushes (ब्रशेस)

ब्रशेस को बनाने के लिए कार्बन या फिर ग्रेफाइट का इस्तमाल किया जाता है. ब्रशेस को कम्यूटेटर के ऊपर लगते है, कम्यूटेटर AC को DC में बदल देता है वह DC ब्रशेस जमा करता है और वायर्स के मदत से उस करंट को लोड को दिया जाता है.


Working of DC Generator

जब आर्मेचर को प्राइममूवर के मदत से घुमाया जाता है तब आर्मेचर कंडक्टर्स मैग्नेटिक फील्ड को कट करते है इसके कारण आर्मेचर में EMF इनडूस हो जाता है. लेकिन वह EMF (Electro Motive Force) AC होता है इसीलिए उस AC को कम्यूटेटर के मदत से DC में बदल कर ब्रशेस के सहारे लोड को दिया जाता है.


Types of DC Generator (DC जनरेटर के प्रकार)

1.सेप्रेटली एक्सटाईटेड जनरेटर

जिस जनरेटर के फील्ड वाइंडिंग को सेपरेट सप्लाई दे कर एक्साइट किया जाता है उस जनरेटर को सेप्रेटली एक्सटाईटेड जनरेटर बोलते है.

2.सेल्फ एक्सटाईटेड जनरेटर

जिस जनरेटर के फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर के सीरीज, पैरेलल, या फिर सीरीज-पैरेलल किया जाता है उस जनरेटर को सेल्फ एक्सटाईटेड जनरेटर बोलते है

(i) Series Generator (सीरीज जनरेटर)

जिस जनरेटर में फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर के सीरीज कनेक्ट किया हुआ होता है, उस जनरेटर को DC सीरीज जनरेटर कहते है.

(ii) Shunt Generator (शंट जनरेटर)

जिस जनरेटर में फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर पैरेलल में कनेक्ट करते है उस जनरेटर को DC शंट जनरेटर कहते है.

(iii) Compound Generator (कंपाउंड जनरेटर)

DC कंपाउंड जनरेटर के दो टाइप्स है.

(a) Short Shunt Compund Generator (शोर्ट शंट कंपाउंड जनरेटर)

इस जनरेटर में शंट फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर के पैरेलल में कनेक्ट करते है और in दोनों को सरिस फील्ड वाइंडिंग के सीरीज में कनेक्ट करते है.

(b) Long Shunt Compund Generatorलोंग शंट कंपाउंड जनरेटर

लोंग शंट कंपाउंड DC जनरेटर में सीरीज फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर के सीरीज कनेक्ट करते है और इन दोनों को शंट फील्ड वाइंडिंग के पैरेलल में कनेक्ट करते है.


यह भी पढ़े👇

👉DC मोटर क्या है?

👉सिंगल फेज इंडक्शन मोटर

👉पॉवर फैक्टर क्या है?

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ