Rectifier in Hindi (AC to DC Converter) रेक्टिफायर क्या है और कैसे कम करता है?

 


What Is Rectifier? रेक्टिफायर क्या है?

रेक्टिफायर एक इलेक्ट्रिकल (electrical) or इलेक्ट्रॉनिक (electronic) यंत्र (device) है, यह अल्टरनेटिंग करंट (AC) को पल्सेटिंग (pulsating) डायरेक्ट करंट (DC) में परिवर्तन (convert) करता है. पल्सेटिंग dc का मतलब वह dc जिसमे कुछ Ac का भी हिसा होता है.

जब इस यंत्र के इनपुट में अल्टरनेटिंग करंट दिया जाता है तब यह आउटपुट में सिर्फ पॉजिटिव साइकिल पास करता और नेगेटिव साइकिल को ब्लाक करता है,इसे हाफ वेव रेक्टिफायर कहते है.रेक्टिफायर का आउटपुट अमिश्रित (pure)  DC नहीं होता मतलब इसमे कुछ रिपल (ripple) भी होता है, यह रिपल फ़िल्टर के मदत से कम किया जाता है.इस यंत्र को इलेक्ट्रॉनिक सर्किट और पॉवर इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में इस्तमाल किया जाता है. इलेक्ट्रॉनिक में जो रेक्टिफायर इस्तमाल किया जाता है उसकी रेटिंग बहोत कम होती है और पॉवर इलेक्ट्रॉनिक में रेक्टिफायर इस्तमाल किया जाता है उसकी रेटिंग बहोत ज्यादा होती है.


Need of Rectifier रेक्टिफायर की जरुरत क्यूँ है?

इलेक्ट्रिकल एनर्जी को अल्टरनेटिंग करंट (AC) में पॉवर प्लांट्स (power plants) के मदत से बनाया (generate) जाता है, और ट्रांसमिशन भी AC में किया जाता है, लेकिन पॉवर ग्रिड में कही जगह पर DC में भी एनर्जी का ट्रांसमिशन होता है, उसे HVDC कहते है और बहोत सारे लोड (DC मोटर, चार्जर,अम्प्लिफयारस) DC पर भी कम करते है.यह DC की जरुरत DC जेनरटर के मदत से भी पूरी की जाती है लेकिन सब जगह जेनेरटर का इस्तमाल संभव नहीं है, इसलिए रेक्टिफायर का इस्तमाल किता जाता है.

बैटरी को चार्ज करने के लिए, HVAC को HVDC में कन्वर्ट करने के लिए या फिर बहोत सारे ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिनको DC की जरुरत होती है. हम अभी मोबाइल चार्जर का उदहारण लेते है अछे से समजने के लिए, मोबाइल के अंदर जो बैटरी होती है उसका आउटपुट DC होता है और उस बैटरी को चार्ज करने के लिए भी DC की जरुरत होती है. चार्जर में पहिला कॉम्पोनेन्ट ट्रांसफार्मर होता है,ट्रांसफार्मर 230V को 12V या फिर 6V में स्टेप डाउन करता है और उसका आउटपुट रेक्टिफायर के इनपुट में कनेक्ट होता है.इसके बाद रेक्टिफायर AC को DC में बदल देता है.


Classification of rectifier रेक्टिफायर का वर्गीकरण 


Classification Based on Control नियंत्रण के आधार पर वर्गीकरण


Uncontrolled Rectifier (अनियंत्रित रेक्टिफायर)

जब रेक्टिफायर को बनाने के लिए सिर्फ डायोड (diode) का इस्तमाल किया जाता है, तब उस रेक्टिफायर को अनियंत्रित रेक्टिफायर बोला जाता है. क्यूंकि की डायोड के इस्तमाल के कारण हम रेक्टिफायर के आउटपुट में बदलाव नहीं कर सकते. आउटपुट में DC मिलता है लेकिन वह फिक्स्ड (fixed) DC होता है.इसके पीछे का यह भी एक कारण है, की डायोड एक अनियंत्रित कॉम्पोनेन्ट है मतलब हम इसकी ओन स्टेट या फिर ऑफ स्टेट कंट्रोल नहीं कर सकते.


Fully Controlled Rectifier (पूरी तरह से नियंत्रित रेक्टिफायर)

जब रेक्टिफायर को बनाने के लिए थाइरिस्टर (thyristor) का इस्तमाल किया जाट है तब उस रेक्टिफायर को पूरी तरह से नियंत्रित रेक्टिफायर बोला जाता है. थाइरिस्टर को इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में नहीं बल्कि पॉवर इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स में इस्तमाल किया जाता है.क्यूंकि की इस कॉम्पोनेन्ट की रेटिंग बहोत ज्यादा होती है.इस रेक्टिफायर का आउटपुट वेरिएबल DC होता है क्यूंकि थाइरिस्टर का फायरिंग अन्गल (firing angle) में बदलाब करके हम DC आउटपुट में बदलाव कर सकते है.


Semi-controlled Rectifier (अर्ध नियंत्रित रेक्टिफायर)

जब रेक्टिफायर डायोड और थाइरिस्टर दोनों का इस्तमाल किया जाता है तब उस रेक्टिफायर को अर्ध नियंत्रित रेक्टिफायर बोला जाता है.अर्ध नियंत्रित इसलिए क्यूंकि डायोड एक अनियंत्रित कॉम्पोनेन्ट है और थाइरिस्टर एक पूरी तरह से नियंत्रित कॉम्पोनेन्ट है.

डायोड का इस्तमाल कर के जो रेक्टिफायर बनाये जाते है वह जादा तर इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में इस्तमाल किये जाते है, डायोड और थाइरिस्टर से बनाये हुए रेक्टिफायर पॉवर इलेक्ट्रॉनिक में इस्तमाल किये जाते है.


Classification Based on Wave


Half Wave Rectifier (हाफ वेव रेक्टिफायर)


हाफ वेव रेक्टिफायर आउटपुट में सिर्फ पॉजिटिव साइकिल को पास करता है और नेगेटिव साइकिल को ब्लाक करता है. अलटरनेटिंग करंट (AC) के एक कम्पलीट साइकिल में एक पॉजिटिव औए एक negative साइकिल होती है. हाफ वेव रेक्टिफायर में जो कॉम्पोनेन्ट इस्तमाल किये जाते है जैसे डायोड और थाइरिस्टर वह सिर्फ पॉजिटिव साइकिल में ओन होते है मतलब वह फॉरवर्ड बायस्ड होते है इसके कारण आउटपुट पॉजिटिव वेव मिलती है.नेगेटिव साइकिल में डायोड या फिर थाइरिस्टर रीवर्स बायस्ड हो जाता है इसके कारण आउटपुट वेव नहीं मिलती.


Full Wave Rectifier (फुल वेव रेक्टिफायर)

FWR को बनाने के लिए दो या फिर चार कॉम्पोनेन्ट का इस्तमाल किया जाता है. इस रेक्टिफायर का आउटपुट पॉजिटिव और नेगेटिव साइकिल में भी मिलता है. मतलब यह दोनों साइकिल में कंडक्ट होता है लेकी HWR में ऐसा नहीं होता है वह रेक्टिफायर सिर्फ एक ही साइकिल में कंडक्ट होता है.


Full Wave Centre Tapped Rectifier  (फुल वेव सेंटर टेप रेक्टिफायर)

FWCTR में दो डायोड और सेंटर टेप ट्रांसफार्मर का इस्तमाल किया जाता है. सेंटर टेप ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी वाइंडिंग पर टैपिंग होती है और उसे ग्राउंड रिफरेन्स पॉइंट (ground reference point) की तरह इस्तमाल किया जाता है. पॉजिटिव साइकिल में एक डायोड फॉरवर्ड बायस्ड होता है और आउटपुट में पल्सेटिंग वेव मिल जाती है, वैसे ही नेगेटिव साइकिल में दूसरा डायोड फॉरवर्ड बायस्ड हो जाता है और आउटपुट में पल्सेटिंग पॉजिटिव मिल जाती है. 


Full Wave Bridge Rectifier (फुल वेव ब्रिज रेक्टिफायर)

FWCTR के कुछ नुकसान है जैसे इसमे सेंटर टेप ट्रांसफार्मर जरुरी ही है और इसका पीक इनवर्स वोल्टेज (PIV) बहोत है होता इसीलिए फुल वेव ब्रिज रेक्टिफायर लो ज्यादातर इस्तमाल किया जाता है.इस रेक्टिफायर में चार डायोड का इस्तमाल किया जाता है, पॉजिटिव साइकिल में दो डायोड फॉरवर्ड बायस्ड हो जाते है और आउटपुट में पॉजिटिवहाफ साइकिल मिल जाती है. नेगेटिव साइकिल में दुसरे दो डायोड फॉरवर्ड बायस्ड हो जाते है और आउटपुट में पॉजिटिव हाफ साइकिल मिल जाती है.


Application of Rectifier (रेक्टिफायर के उपयोग)

  • लैबोरेट्रीज में DC सप्लाई देने के लिए
  • DC मोटर्स को चलाने के लिए 
  • बैटरी को चार्ज करने के लिए 
  • हाई वोल्टेज DC ट्रांसमिशन (HVDCT) करने के लिए.


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इस पोस्ट में हमने देखा what is rectifier? types of rectifier? need of rectifier, application of rectifier.अगर यह पोस्ट आपको अछि लगी तो कमेंट में जरुर लिखिए और अगर कोई सुजाव होगा तो भी लिखिए ||धन्यवाद🙏||

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