What is DC Motor in Hindi

What is DC Motor (DC मोटर क्या है?)

DC मोटर एक इलेक्ट्रोमैकेनिकल मशीन है, मतलब यह डायरेक्ट करंट (DC) इलेक्ट्रिकल एनर्जी को रोटेटिंग मैकेनिकल एनर्जी में बदल देता है. अभी बहोत सारे जगह पर जैसे की इंडस्ट्रीज, रेलवेज, एग्रीकल्चर आदि में थ्री फेज इंडक्शन मोटर्स या फिर सिंगल फेज इंडक्शन मोटर्स का इस्तमाल किया जाता है, लेकिन कुछ जगह पर जैसे की क्रेन्स, फैन, ड्रिलिंग मशीन आदि में DC मोटर का इस्तमाल किया जाता है. 

Basic Principle of DC Motor (डीसी मोटर का मूल सिद्धांत)

जब करंट कैरिंग कंडक्टर (Current Carrying Conductor) को मतलब जिस कंडक्टर में से करंट बहता होगा उसीको DC से तयार हुई मैग्नेटिक फील्ड में रखा जाता है, तब कंडक्टर पर फोर्स तयार होता है.समजो दो पोल N और S है, मैग्नेटिक फील्ड हमेशा एयर में N से S तक ट्रेवल होती है और मैगनेट के अंदर से S से N तक ट्रेवल होती है. अब दो पोल (N और S) के बिच में से करंट कैरिंग कंडक्टर को रखनेसे कंडक्टर की मैग्नेटिक फील्ड और मेन (Main) फील्ड में इंटररिएक्शन के कारण कंडक्टर घुमने लगता है.

DC मोटर  में कंडक्टर पर लगाने वाला फोर्स (Direction of Force), स्टेटर मैग्नेटिक फील्ड (Magnetic Field) और कंडक्टर में से बहने वाले करंट (Current) को समजने के लिए फ्लेमिंग लेफ्ट हैण्ड रुल का इस्तमाल किया जाता है. इस लॉ को समजने के लिए  लेफ्ट हैण्ड की पहलीप् उंगली (First Finger) , दूसरी उंगली (Middle Finger) और थंब (Thumb) का इस्तमाल किया जाता है. इन तीनो के बिच का अंतर 90 डिग्री होना चाहिये. थंब कंडक्टर पर लगाने वाला फोर्स दर्शाता है, पहली उंगली मैग्नेटिक फील्ड की डायरेक्शन को दर्शाती है और दूसरी उंगली करंट को दर्शाती है.


Parts of DC Motor (DC मोटर के पार्ट्स)

STATOR (स्टेटर)

यह DC मोटर का स्टेटिक पार्ट है, मतलब यह पार्ट कभी घूमता नहीं है. इस पार्ट को बनाने के लिए सिलिकॉन स्टील से बनाई हुई स्टम्पिंग का इस्तमाल किया जाता है. स्टेटर पर स्लोट्स को बनाकर उनमे वाइंडिंग को डाला जाता है या फिर स्टेटर को बनाने के लिए परमानेंट मैगनेट का भी इस्तमाल किया जाता है. जहा पर जादा मैग्नेटिक फील्ड की जरुरत होती है, वहा पर एलेक्ट्रोमाग्नेट का इस्तमाल किया जाता है और जहा पर कम मैग्नेटिक फील्ड की जरुरत होती है वहा पर परमानेंट मैगनेट का इस्तमाल किया जाता है.

ROTOR (रोटर)

यह मोटर का रोटेटिंग पार्ट है, मतलब यह मोटर का घुमने वाला पार्ट है. स्टेटर की तरह इसे भी DC सप्लाई की जरुरत पड़ती है. रोटर को बनाने की लिये भी स्टम्पिंग का इस्तमाल करते है, और रोटर के बाहरी सतह पर स्लोट्स होते है. उन स्लोट्स में कॉपर से बनाई हुई वाइंडिंग को डाला जाता है और बादमे कम्यूटेटर के मदत से DC सप्लाई से जोड़ा जाता है.

COMMUTATOR (कम्यूटेटर)

कम्यूटेटर एक मैकेनिकल रेक्टिफिएर (or इन्वर्टर) है, मतलब यह DC को AC में कन्वर्ट करता है और AC को DC में कन्वर्ट करता है. DC मोटर में जो dc सुपली रोटर को दिया जाता है उसे AC में कन्वर्ट करने के लिए कम्यूटेटर का इस्तमाल किया जाता है.

BRUSHES (ब्रशेस)

रोटर रोटेटिंग पार्ट होने के कारण उसे सप्लाई से कनेक्ट करना थोडा मुश्किल है इसीलिए कार्बन ब्रशेस का इस्तमाल करके सप्लाई को रोटर से कनेक्ट किया जाता है. 


How DC Motor Work ( DC मोटर कैसे काम करती है)

जब स्टेटर वाइंडिंग को DC सप्लाई दिया जाता है, तब  स्टेटर DC मैग्नेटिक फील्ड तयार करता है. DC मैग्नेटिक फील्ड परमानेंट मैगनेट के मदत से भी तयार की जाती है.  रोटर वाइंडिंग (आर्मेचर) को सप्लाई से कनेक्ट करनेसे वाइंडिंग में से करंट बहना सुरुवात होती है. रोटर वाइंडिंग में से बहने वाले करंट और मैग्नेटिक फील्ड के इंटररिएक्शन के कारण रोटर पर फोर्स तयार होता है और रोटर मैग्नेटिक फील्ड के समकोण में घुमने लगता है.


Types of DC Motor (DC मोटर के प्रकार)

1.DC Series Motor (DC सीरीज मोटर)

DC मोटर्स में दो वाइंडिंग होती है फील्ड वाइंडिंग (फील्ड वाइंडिंग) और आर्मेचर वाइंडिंग (रोटर वाइंडिंग). इस मोटर में फील्ड वाइंडिंग और आर्मचर वाइंडिंग को सीरीज में कनेक्ट किया जाता है, इसी लिए इस मोटर को सीरीज मोटर कहते है. आर्मेचर वाइंडिंग का करंट भी फील्ड वाइंडिंग से बहने के कारण फील्ड वाइंडिंग में कम टर्न होते है, लेकिन टर्न में इस्तमाल किये जाने वाले कंडक्टर की साइज़ बड़ी होती है. सुरुवात में DC सीरीज मोटर का स्पीड बहोत ज्यादा होने के कारण इस मोटर को नो लोड या फिर कम लोड पर चालू नहीं किया जाता क्यूंकि मोटर डैमेज हो सकती है.

2. DC Shunt Motor (DC शंट मोटर)

इस मोटर में फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर वाइंडिंग के पैरेलल में जोड़ा जाता है. फील्ड वाइंडिंग में बहोत सारे टर्न होते है लेकिन टर्न में इस्तमाल होने वाले कंडक्टर की साइज़ बहोत कम होती है. जब सप्लाई को चालू किया जाता है तब फील्ड वाइंडिंग के अक्रॉस में फुल वोल्टेज होता है और फील्ड वाइंडिंग में से बहोत कम करंट बहता है, इसीलिए फिएल्स वाइंडिंग में ज्यादा टर्न होते है. इस मोटर का स्पीड कांस्टेंट होने के कारण, जहा पर कांस्टेंट स्पीड की जरुरत पड़ती है वजह पर इस मोटर का इस्तमाल किया जाता है.

3. Permanent Magnet DC Motor (परमानेंट मैगनेट DC मोटर)

इस मोटर में मेन फ्लक्स के लिए परमानेंट मैगनेट का इस्तमाल किया जाता है और रोटर वाइंडिंग के अक्रॉस में DC सप्लाई को कनेक्ट किया जाता है.

4. DC Compound Motor (DC कंपाउंड मोटर)

जिस मोटर में शंट वाइंडिंग और सीरीज वाइंडिंग दोनों होती है, उस मोटर को कमपौंड मोटर बोलते है.

(i) Short Shunt Compound Motor (शोर्ट शंट कंपाउंड मोटर)

इस मोटर में शंट फील्ड वाइंडिंग को आर्मेचर के अक्रॉस में कनेक्ट किया जाता है और और इन दोनों के सीरीज में सीरीज फील्ड वाइंडिंग को कनेक्ट किया जाता है.

(ii) Long Shunt Compound Motor (लोंग शंट कंपाउंड मोटर)

इस मोटर में सीरीज फिल्ड वाइंडिंग को आर्मेचर के सीरीज में कनेक्ट करते है और इन दोनों के पैरेलल में शंट फील्ड वाइंडिंग को कनेक्ट करते है.


Speed Control Methods of DC Motor 

(DC मोटर का स्पीड कंट्रोल करने की तरीके)

  • 1.Field Flux Control (फील्ड फ्लक्स कंट्रोल)
  • 2.Armature Voltage Control (आर्मेचर वोल्टेज कंट्रोल)
  • 3.Armature Resistance Control (आर्मेचर रेजिस्टेंस कंट्रोल)
  • 4.Field Diverter Method (फील्ड डाइवर्टर मेथड)
  • 5.Armature Diverter Method आर्मेचर डाइवर्टर मेथड)
  • 6.ward leonard Method (वार्ड लियोनार्ड मेथड)


Types of Starter ( स्टार्टर के टाइप्स)

DC मोटर्स में स्टार्टर का इस्तमाल स्टार्टिंग करंट को कम करने के लिए, ओवरवोल्टेज और अंडरवोल्टेज से बचाने के लिए, ओवरलोड से मोटर को बचाने के लिए किया जाता है.

  • 1. Two Point Starter ( टू पॉइंट स्टार्टर)
  • 2. Three Point Starter ( थ्री पॉइंट स्टार्टर)
  • 3. Four Point Starter ( फोर पॉइंट स्टार्टर)


Application of DC Motors (DC मोटर के उपयोग)

  • DC सीरीज मोटर्स का इस्तमाल क्रेन्स, होइस्ट, एलिवेटर्स, ट्राली, कन्वेयर्स, इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में किया जाता है.
  • DC शंट मोटर्स का इस्तमाल ब्लोवेर्स, फैन,लेथ मशीन, मिलिंग मशीन, ड्रिलिंग मशीन, सेंट्रीफुगल पम्पस में किया जाता है.
  • कंपाउंड मोटर्स का इस्तमाल रोलिंग मिल्स, एलिवेटर्स, हैवी प्लानर्स में किया जाता है.


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इस पोस्ट में हमने देखा  DC मोटर क्या है, कैसे काम करती है, मोटर्स के कितने टाइप्स है, DC मोटर्स के उपयोग के बारे में जाना. ऐसी और पोस्ट पढ़ने के लिए सब्सक्राइब कीजिये, अगर यह पोस्ट आपको अच्छी लगी तो कमेंट में जरुर लिखे और कोई सुजाव होगा तो भी लिखिए ||धन्यवाद🙏||

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