SLD in Hindi
पॉवर सिस्टम में जनरेटर्स,ट्रांसफार्मर्स, ट्रांसमिशन लाइन्स,रिलेस सर्किट ब्रेकर,isolators,fuses होते है.तो इन सब इक्विपमेंट को एक डायग्राम में दिखाना बहोत ही complicated हो जाता है. इसलिए हर एक इक्विपमेंट को सिंपल सिम्बल्स के मदत से सिंगल डायग्राम में शो किया जाता है.अब पॉवर कैसे जनरेट होती है, कैसे ट्रांसमिट होती है वो देखते है.
STAGE-1 POWER GENERATION
👉इलेक्ट्रिकल energy/power बनाइ जाती जनरेटर्स के मदत से,ज्यादा टार सिंक्रोनस जनरेटर का इस्तमाल करते है इलेक्ट्रिसिटी को बनाने के लिए. जनरेटर का काम होता है मैकेनिकल energy को इलेक्ट्रिकल energy में convert करना.वैसे तो DC जनरेटर, इंडक्शन जनरेटर भी है लेकिन उनके कुछ disadvantages है इसीलिए उनका इस्तमाल नहीं किया जाता.
👉अब बात करते है पॉवर प्लांट्स की, तो इलेक्ट्रिकल पॉवर बनाने के लिए हायड्रोइलेक्ट्रिक पॉवर प्लांट्स,थर्मल पॉवर प्लांट्स, नुक्लेअर पॉवर प्लांट्स,सोलर पॉवर प्लांट्स,वाइंड पॉवर प्लान्ट्स का इस्तमाल किया जाता है.अब देखिये थर्मल,नुक्लेअर,हाइड्रोइलेक्ट्रिक,सोलर,वाइंड ये सब बेस लोड प्लांट्स है और pumped स्टोरेज,डीजल,गैस,ये सब पिक लोड प्लांट्स है. जनरेटर इलेक्ट्रिसिटी जनरेट करते है उसका वोल्टेज 11KV या फिर 33KV होता है.
STAGE-2 TRANSMISSION SYSTEM
👉अब पॉवर को ट्रांसमिट किया जाता है स्टेप अप पॉवर ट्रांसफार्मर तक, ये ट्रांसफार्मर वोल्टेज की लेवल 33KV से 765KV,400KV,220KV तक बढाता है.ट्रांसफार्मर वोल्टेज तो बढाता है लेकिन फ्रीक्वेंसी और पॉवर में कोई बदलाव नहीं होता हालांकि करंट में बदलाव आता है मतलब वोल्टेज बढाया जाता है तब करंट कम होता है, वोल्टेज को बढ़ाने के कुछ फायदे है जैसे की ट्रांसमिशन लाइन में पॉवर लोस कम होता है और ट्रांसमिशन लाइन के कंडक्टर की साइज़ कम हो जाती है.अब यहाँ से पॉवर को ट्रांसमिट किया जाता है very लार्ज consumer तक,बाकीके ग्रिड होते है उन तक और आगे स्टेप अप डाउन पॉवर ट्रांसफार्मर तक पॉवर ट्रांसमिट की जाती है.
STAGE-3 SUB-TRANSMISSION
👉इस स्टेज में हाई वोल्टेज को 132KV या फिर 66KV को स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर के मदत से कम किया जाता है.अब पॉवर को ट्रांसमिट किया जाता है लार्ज इंडस्ट्रियल consumer तक, जो छोटे लोकल पॉवर प्रोडूसर होते है उन तक.लार्ज consumer इस हाई वोल्टेज को कम करता है और हाई रेटिंग्स के इक्विपमेंट को ऑपरेट करता है.लोकल पॉवर प्रोडूसर मतलब जो इलेक्ट्रिसिटी किसी सिटी को या फिर गावोंको प्रोवाइड करते है वो अब इस energy को ट्रांसमिट किया जाता है ट्रांसमिशन लाइन्स के मदत से प्राइमरी डिस्ट्रीब्यूशन तक.
STAGE-4 PRIMARY DISTRIBUTION SYSTEM
👉इस स्टेज से पहले फिर एक स्टेप डाउन ट्रांसफार्मर का इस्तमाल किया जाता है वोल्टेज को 132KV, 66KV से 33KV, 11KV तक कम करने के लिए. इसे डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर बोलते है.अब इस energy को ट्रांसमिट किया जाता है मीडियम लार्ज consumer तक मतलब जो इंडस्ट्रीज होते है उनके लिए.आपने बहोत बार देखा होगा की जो बड़ी इंडस्ट्रीज होती है उनके लिए अलग ट्रांसफार्मर होता है क्यूनी वहा पर बहोत साडी सिंगल फेज मोटर्स और थ्री फेज मोटर्स होती है, तो उनको ज्यादा electrical energy की जरुरत होती है.
STAGE-5 SECONDARY DISTRIBUTION SYSTEM
👉सेकेंडरी डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में 33KV,11KV को कम किया जाता है 400V, 50HZ तक डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांस्स्फोर्मेर के मदत से. अब एक बात देखिये इस स्टेज तक वोल्टेज और करंट में बदलाव आये है फ्रीक्वेंसी और पॉवर में नहीं.अपने बहोत बार देखा की किसी एरिया के या फिर किसी गावं के सुरुवात में ही एक ट्रांसफार्मर होता है,उस ट्रांसफार्मर का कनेक्शन डेल्टा स्टार में होता है क्यूँ की स्टार कनेक्शन में मिक्स लोडिंग पॉसिबल है ,मतलब लोड थ्री फेज और सिंगल फेज भी हो होता है. डेल्टा कनेक्शन को फिक्स लोड के लिए इस्तमाल किया जाता,यह कनेक्शन मिक्स लोड के लिए ठिकं नहीं होता.अब देखिये जो 400V वोल्टेज होता है वो लाइन टू लाइन थ्री फेज़ वोल्टेज होता है, और 230V होता है वो लाइन टू नुट्रल सिंगल फेज वोल्टेज होता है.
👉हमारे घर energy आती है व सिंगल फेज 230V,50HZ होती है.अगर टाइप्स ऑफ लोड्स की बात करे तो domestics लोड्स मतलब हम हमारे घर में इक्विपमेंट को चलाते है वो, commercial लोड मतलब व्यावसाईक लोड्स,इंडस्ट्रियल लोड्स, एग्रीकल्चरल लोड्स मतलब कृषिसंबधी लोड्स इसमे ज्यादा टार मोटर्स को चलाया जाता है. अब देखते जो लोड्स होते है उनको चलाने का टाइम क्या होता है. colleges 9AM से लेके 5PM तक चालू रहते है, हॉस्पिटल्स 24HR चालू रहते है. और शॉप्स 10 AM से 10 PM तक चालू रहते है.
👉और एक पॉवर सिस्टम में महत्वपूर्ण फैक्टर होता है पॉवर फैक्टर, अगर पॉवर फैक्टर कम होगा तो ट्रांसफार्मर और जनरेटर की MVA और KVA रेटिंग बढ़ेगी. इसीलिए जितना ज्यादा पॉवर फैक्टर होगा उतना पॉवर सिस्टम के लिए अच्छा होगा क्यूंकि कम पॉवर फैक्टर में लाइन्स से ज्यादा करंट फ्लो होता है और इसके कारण लोस्सेस भी बढ़ते है उनका पॉवर फैक्टर 0.6 -0.85 तक होता है ,फ्लुरोस्सेंट लैंप का 0.55-0.90, fractional HP मोटर्स 0.5-0.8, आर्क वेल्ड़ेर्स का 0.35-0.55, fans का 0.55-0.85 और इंडक्शन furnances का 0.70-0.80 तक होता है.
ये भी पढ़े
इस पोस्ट में सिंगल लाइन क्या होती है और पॉवर सिस्टम के स्ट्रक्चर के बारे में बेसिक बताया. अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो कमेंट में जरुर लिखे और कोई सुजाव होगा तो भी लिखिए ||धन्यवाद🙏||
0 टिप्पणियाँ