Inductor kya hai? Inductor in detail hindi

 Inductor क्या है?

इंडक्टर एक पैसिव कॉम्पोनेन्ट है मतलब ऐसा कॉम्पोनेन्ट जो पॉवर को डिलीवर नहीं कर सकता.इसका इस्तमाल इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट में किया जाता है. इंडक्टर करंट को परिवर्तन(change) होने से रोकता है मतलब करंट को स्थिर (constant) रखता है. इसको हेनरी (henry) में नापते (measure)  है मतलब इसका यूनिट हेनरी है. 

अब एक बात ध्यान में रखिये इंडक्टर एनर्जी को स्टोर करता है और लोड को डिलीवर भी करता है कुछ समय के लिए, लेकिन इसमे पहिलेसे कोई energy नहीं होती . जब हम इंडक्टर को सप्लाई से कनेक्ट करते है  तो ये चार्जिंग होता है और चुंबकीय (magnetic) फील्ड तयार करता है और energy को स्टोर करता है. जब हम सप्लाई को हटाते है तो इंडक्टर स्टोर energy लोड को देता है और बादमे इंडक्टर में energy zero हो जाती है. अगर हम किसी सप्लाई के बिना इंडक्टर को कनेक्ट करते है लोड को तो ये energy को डिलीवर नहीं करेगा.इसीलिए हम इसे पैसिव कॉम्पोनेन्ट कहते है.


Inductor कैसे  work करता है? Working of Inductor

अभी हम अछेसे समजने के लिए एक वायर का उदहारण लेते है.जब हम उस वायर को सप्लाई के अक्रॉस कनेक्ट करेंगे तो उस मेसे इलेक्ट्रान बहने (flow) लगेंगे मतलब करंट बहने लगेगा और उस करंट के कारण magnetic फील्ड तयार होगी लेकिन वह magnetic फील्ड बहोत कम होती है.

इंडक्टर में क्या किया जाता है लम्बे वायर की एक कोइल (coil) बने जाती है और उसके बिच में core को रखते है और जब हम सप्लाई से उस कोइल को कनेक्ट करते है तो वह कोइल बहोत ज्यादा magnetic फील्ड तयार कराती है अगर सिंगल वायर से तुलना करे तो और उसके कारण हमें आउटपुट में स्थिर (constant) करंट मिलता है.


Inductor की जरुरत क्यूँ है? Need of Inductor

इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किट में आपने देखा होगा बहोत सारे इंडक्टर कनेक्ट किये हुए होते है और लोड जैसे की LEDs  और बाकीके लोड devices कनेक्ट किये हुए होते है. अभी हम LED का उदाहरण लेते है.अगर LED में से बहने (flow) होने वाला करंट स्थिर (constant) नहीं होगा मतलब करंट कम ज्यादा होगा तो LED भी कम ज्यादा जलेगी (glow). इसीसलिए हम LED के पाहिले इंडक्टर को कनेक्ट करते है ताकि LED और बाकीके जो devices  होते है उनको स्थिर करंट मिले और उन devices में कोई बदलाव ना हो.


Inductor की वैल्यू कैसे निकाले? inductor colour coding

इंडक्टर के बहोत स्सरे टाइप्स है लेकी हम वह इंडक्टर लेंगे उदहारण के तोर पर जिसमे बैंड (bands) होते है.उस इंडक्टर को कलर रिंग इंडक्टर यस फिर एक्सियल (Axial) इंडक्टर भी बोलते है .कलर कोडिंग के मदत से हम बस इसी इंडक्टर की वैल्यू निकल सकते है. जैसे हम रेसिस्टर की वैल्यू ओहम निकालते है वैसे ही हम इंडक्टर की वैल्यू माइक्रो (micro) हेनरी (henry)  uH में निकलते है.

अभी हम 270 uH इंडक्टर का उदहारण लेते है समजने के लिए.इसमे पहिला बैंड (band) है रेड (red), दूसरा बैंड है वायलेट (voilet), तीसरा बैंड है ब्राउन (brown) और चौथा बैंड है गोल्ड (gold) इसे टॉलरेंस बैंड कहते है.

जो पहिला बैंड और दूसरा बैंड है उनको हम एकसाथ लिखते उनका गुणा (multiplication) यार फिर योग (addition) नहीं करते. जो तीसरे बैंड की वैल्यू है उसे हम पाहिले और दुसरे को गुणा करते है और चौथे बैंड के वैल्यू को  प्लस माइनस (+ -) देकर लिखते है.

inductor colour coding


Types of Inductor 

  • एयर कोर इंडक्टर (air core inductor)
  • टोरायडल कोर इंडक्टर (toroidal core inductor)
  • आयरन कोर इंडक्टर (iron core inductor)
  • फेराइट कोर इंडक्टर (ferrite core inductor)
  • लैमिनेटेड कोर इंडक्टर (laminated core inductor)
  • स्लग टुनड इंडक्टर (slug tuned inductor)
  • बोब्बिन इंडक्टर (bobbin inductor)
  • कलर रिंग इंडक्टर (colour ring inductor)


Series connection of inductor 

अगर दो इंडक्टरर्स सीरीज में कनेक्टेड है तो उनका समकक्ष (equivalent) inductance निकालने के लिए उन दोनों इंडक्टरर्स का योग (addition) करना पड़ता है. समजो एक इंडक्टर (L1) की वैल्यू है 20H और दुसरे इंडक्टर की वैल्यू है 10H तो इनको बस ऐड करना है.

L= L1 + L2= 20+10=30H

अगर बहोत सरे इंडक्टरर्स का समकक्ष (equivalent) inductance निकलना होगा तो उनको बस add करते जाने है.


inductor


Parallel connection of inductor 

अगर दो इंडक्टर पैरेलल में कनेक्ट होंगे तो उनका समकक्ष  (equivalent) inductance निकालने के लिए अंश (numerator) में उन दोनों इंडक्टरर्स का गुणा (multiplication) और विभाजक (denominator) में उन दोनों इंडक्टरर्स की addition करनी पड़ती है.

अब समजो एक इंडक्टर (L1) की वैल्यू है 40H और दुसरे इंडक्टर की भी वैल्यू है 40H.

L=(L1*L2)/(L1+L2)=(40*40)/(40+40)=1600/80=20H.


Voltage Division Rule for Inductor

अगर दो इंडक्टर L1 और L2 सीरीज में connected होंगे तभी हम VDR इस्तमाल कर सकते है किसी एक इंडक्टर के अक्रॉस वोल्टेज निकालने के लिए. अगर पैरेलल में L1 और L2 कनेक्ट होंगे तो हम VDR नहीं इस्तमाल कर सकते क्यूंकि पैरेलल में L1 और L2 के अक्रॉस में सेम (same) वोल्टेज होगा.

समजो हमें L1 के अक्रॉस में वोल्टेज निकालना है तो क्या कीजिये जो सोर्स वोल्टेज होगा उसे लिखिए बादमे जिस इंडक्टर के अक्रॉस में वोल्टेज निकालना है उसे multiply कीजिये और बादमे आये हुए वैल्यू को दोनों इंडक्टरर्स (L1 & L2) को addition करके devide कीजिये.

L1 के अक्रॉस में वोल्टेज निकालने का फार्मूला 

VL1=(V*L1)/(L1+L2)

eg. L1=5, L2=5, V=10

VL1=(10*5)/(5+5)

VL1=50/10=5H

L2 के अक्रॉस में वोल्टेज निकालने का फार्मूला 

VL2=(V*L2)/(L1+L2)

दोनों इंडक्टरर्स की वैल्यू सेम है इसीलिए दोनों के अक्रॉस सेम वोल्टेज होगा अगर वैल्यू सेम नहीं होगी तो दोंनो के 

अक्रॉस सेम वोल्टेज नहीं होगा. आप अलग अलग वैल्यू लेके चेक कर सक्तो हो.


Current Division Rule for Inductor

अगर दो इंडक्टरर्स पैरेलल में कनेक्ट किये होंगे तभी CDR इस्तमाल कर सकते है इंडक्टर से फ्लो होने वाला करंट निकालने के लिए. करंट डिवीज़न रुल सीरीज सर्किट के लिए इस्तमाल नहीं कर सकते कुंकी सीरीज सर्किट में फ्लो होने वाला करंट सेम होता है.

अगर L1 में से फ्लो होने वाला करंट निकालना है तो क्या कीजिये सोर्स में से फ्लो होने वाला करंट लिखिए और बादमे जिस इंडक्टर में से फ्लो होने वाला करंट निकालना है उसे मत लिखिए. उस इंडक्टर के पैरेलल में जो इंडक्टर होगा उसे लिखिए और उनका multiplication कीजिये और आये हुए वैल्यू को L1 और L2 का addition करके आये हुए वैल्यू से devide कीजिये.

L1 में से फ्लो होने वाला करंट निकालने का फार्मूला 

IL1=(I*L2)/(L1+L2)

L2 में से फ्लो होने वाला करंट निकालने का फार्मूला 

IL2=(I*L1)/(L1+L2)


Inductor और inductance में क्या अंतर है? difference between inductor and inductance.

हमने सुरुवात में ही देखा है की इंडक्टर एक passive कॉम्पोनेन्ट है और करंट को स्थिर (constant) रखता है और ये energy को स्टोर करता है magnetic फील्ड में.

inductance कोई device नहीं है यह एक मटेरियल की प्रॉपर्टी है. हम इंडक्टर का inductance भी कैलकुलेट करते है. इंडक्टर का inductance उसमे इस्तमाल किये जाने वाले turns, कोइल का एरिया और कोइल के length पर अवलंबून है. अगर हम इंडक्टर में टर्न बढ़ाते है तो इंडक्टर का inductance बढ़ता है, अगर हम कोइल का एरिया बढ़ाते है तो inductance बढ़ता है लेकिन जब हम कोइल की length (लम्बाई) बढ़ाते है तो inductance कम होता है.


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इस पोस्ट में हमने देखा inductor क्या है? inductor कैसे काम करता है? types of inductor, current division rule, voltage division rule, series and parallel connection of inductor, the difference between inductor and inductance. अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो कमेंट में जरुर लिखिए और कोई सुजाव होगा तो भी लिखिए.

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