What Is Power Factor?
पॉवर फैक्टर क्या है ?
वोल्टेज और करंट के बिच में के cosine angle (cosΘ) को पॉवर फैक्टर बोलते है. पॉवर फैक्टर सिर्फ AC सर्किट में होता है, DC सर्किट में पॉवर फैक्टर नहीं होता है. यह यूनिटलेस (unitless) है मतलब पॉवर फैक्टर का यूनिट नहीं होता है.पॉवर फैक्टर को और आसान भाषा में समजे तो pf लोड जो रियल पॉवर ( Real Power) absorbed करता है और जो अप्परेंट पॉवर (Apparent Power) सर्किट में फ्लो होती है उनके बिच में का अनुपात (Ratio) है.
पॉवर फैक्टर=cosΘ
Θ=वोल्टेज और करंट के बिच में का एंगल
पॉवर फैक्टर एंगल पर निर्भर (depend) है, अगर वोल्टेज और करंट का बिच में का एंगल जादा होगा तो पॉवर फैक्टर कम होगा और वोल्टेज और करंट के बिच में का एंगल कम होगा तो पॉवर फैक्टर ज्यादा होगा.पॉवर फैक्टर हमेशा -1 और 1 के बिच में ही होता है.
अब देखते है पॉवर फैक्टर का फार्मूला cosΘ आया कैसे है,हमने सुरुवात में ही देखा यह रियल पॉवर और अप्परेंट पॉवर का अनुपात है.
पॉवर फैक्टर=(रियल पॉवर/अप्परेंट पॉवर)
रियल पॉवर (Real Power)=VIcosΘ
रिएक्टिव पॉवर (Reactive Power)=VIsinΘ
अप्परेंट पॉवर^2=रियल पॉवर^2 + रिएक्टिव पॉवर^2
अप्परेंट पॉवर=√(VIcosΘ)^2 + (VIsinΘ)^2
=√VI^2 (cosΘ^2 + VIsinΘ^2)
(cosΘ^2 + sinΘ^2)=1
अप्परेंट पॉवर=VI
पॉवर फैक्टर=(VIcosΘ/VI)
VI और VI कैन्सल हो जायेगा और सिर्फ cosΘ बचेगा.
पॉवर फैक्टर=cosΘ
Types of Power Factor
(पॉवर फैक्टर के प्रकार)
पॉवर फैक्टर के तीन टाइप्स है.
Unity Power Factor (यूनिटी पॉवर फैक्टर)
जब वोल्टेज और करंट के बिच का एंगल झिरो होता है मतलब वोल्टेज और करंट की वेवफॉर्म की सुरुवात एक ही जगह से होती है और समाप्त भी एक जगह पर होता है तब यूनिटी पॉवर फैक्टर मिलता है.
Lagging Power Factor (लागिंग पॉवर फैक्टर)
जब करंट की वेवफॉर्म की सुरुवात वोल्टेज के वेवफॉर्म से कुछ देर बाद होती है, मतलब अगर वोल्टेज की सुस्वत अगर झिरो से हो रही है तो करंट के वेवफॉर्म की सुरुवात देर बाद होगी तब लागिंग पॉवर फैक्टर मिलता है.
Leading Power Factor (लीडिंग पॉवर फैक्टर)
जब करंट वेवफोर्म की सुरुवात वोल्टेज वेवफोर्म से पहले होती है, मतलब अगर वोल्टेज वेवफोर्म की सुरुवात झिरो से हो रही है तो करंट वेवफोर्म की सुरुवात उससे पहले होगी तब लीडिंग पॉवर फैक्टर मिलता है.
Power Factor for R,L,C circuit
(R,L,C सर्किट का पॉवर फैक्टर)
R सर्किट
R सर्किट में पॉवर फैक्टर यूनिटी मिलता है मतलब एक मिलता है, क्यूंकि की वोल्टेज और करंट के बिच का एंगल झिरो होता है.
पॉवर फैक्टर=cosΘ=cos0=1
L सर्किट
जब सर्किट में सिर्फ इंडक्टर होता है तब पॉवर फैक्टर झिरो मिलता है, क्यूंकि की pure सर्किट में वोल्टेज और करंट के बिच का एंगल 90 होता है.
पॉवर फैक्टर=cosΘ=cos90=0
C सर्किट
जब सर्किट में सिर्फ कैपासिटर होता है तभी पॉवर फैक्टर झिरो मिलता है, क्यूंकि pure इनडकटिव (inductive) सर्किट में वोल्टेज और करंट के बिच का अन्तर -90 होता है.
पॉवर फैक्टर=cosΘ=cos-90=0
Disadvantages of Low Power Factor
(कम पॉवर फैक्टर के नुकसान)
कम पॉवर फैक्टर नुकसान देखने से पहले हम सिंगल फेज और थ्री फेज पॉवर के फोर्मुले देखते है,
सिंगल फेज पॉवर
P=VIcosΘ
I =P/(V*cosΘ)........(1)
थ्री फेज पॉवर
P=√3VIcosΘ
I=P/(√3V*cosΘ).......(2)
अगर पॉवर सिस्टम में अगर पॉवर और वोल्टेज अगर स्थिर है, तो सिंगल फेज और थ्री फेज पॉवर सिर्फ पॉवर फैक्टर पर निर्भर है. अगर पॉवर फैक्टर जादा होगा तो सिस्टम में से बहने वाला करंट कम होगा और अगर पॉवर फैक्टर कम होगा तो सिस्टम में से बहने वाला करंट जादा होगा.
और एक महत्वपूर्ण बात, पॉवर फैक्टर कम है मतलब टोटल पॉवर में से बहोत ही कम पॉवर का इस्तमाल हो रहा है.समजो पॉवर फैक्टर 0.9 है मतलब टोटल पॉवर में से सिर्फ 10% रिएक्टिव पॉवर सोर्से और लोड के बिच में घूम रही है और 90% रियल पॉवर का इस्तमाल हो रहा है. अगर पॉवर फैक्टर 0.3 है मतलब टोटल पॉवर में से 70% रिएक्टिव पॉवर सोर्स और लोड के बिच में घूम रही है और सिर्फ 30% पॉवर का इस्तमाल हो रहा है. अभी आप समाज चुके होगे पॉवर फैक्टर ज्यादा होना कितना जरुरी है.
- पॉवर फैक्टर कम होने के कारण पॉवर सिस्टम की MVA or KVA रेटिंग को बढ़ाना पड़ता है.
- पॉवर फैक्टर कम है मतलब ट्रांसमिशन लाइन्स, केबल्स और फ़ीडर में सेज्यादा करंट फ्लो हो रहा है, इसीलिए कंडक्टर की साइज़ को पढ़ना पड़ता है,कंडक्टर की साइज़ बढ़ गयी मतलब कॉपर बढ़ गया, इसके कारण कॉस्ट भी बढ़ जाएगी. सेम पॉवर को ट्रांसमिट करने के लिए पॉवर फैक्टर कम होने के कारण पॉवर सिस्टम की कॉस्ट बढानी पड़ेगी.
- सिस्टम में से जादा करंट बहने के कारण लोस्सेस से बढ़ेगे इसिलिए सिस्टम की एफिशिएंसी भी कम होगी.
- कम लागिंग पॉवर फैक्टर होने के वोल्टेज में बहोत ही जादा ड्राप होता है,उसके कारण वोल्टेज रेगुलेशन भी ख़राब होता है.
Various Causes of Low Power Factor
(पॉवर फैक्टर कम होने के कारण)
- बहोत सारी इंडक्शन मोटर लागिंग पॉवर फैक्टर पर चलती है, अगर किसी कारण से मोटर का लोड कम हो जाता है. तो पॉवर फैक्टर भी कम हो जाता है.
- एग्रीकल्चरल मोटर पंप के कारण भी पॉवर फैक्टर कम हो जाता है.
- आर्क लैम्प्स, इंडक्शन फरनैन्स यह लोड कम पॉवर फैक्टर पर चलते है.
Power Factor Improving Methods
(पॉवर फैक्टर को ठीक करने के मेथड्स)
- लोड के अक्रॉस में कैपासिटर को कनेक्ट करके पॉवर फैक्टर को ठीक किया जाता है.
- सिंक्रोनस कंडेंसर मतलब सिंक्रोनस मोटर का भी इस्तमाल किया जाता है पॉवर फैक्टर को ठीक करने के लिए.
Power Factor for Various Load
(उपकरणों का पॉवर फैक्टर)
- इंडक्शन मोटर (Induction Motor) का पॉवर फैक्टर 0.6-0.85 के बिच में होता है.
- पंखो (Fans) का पॉवर फैक्टर 0.55-0.85 के बिच में होता है.
- फ्लूरोसेंट लैम्प्स (Fluorescent Lamp) का पॉवर फैक्टर 0.55-0.90 के बिच में होता है.
- फ्राकशनल मोटर (Fractional Motor) का पॉवर फैक्टर 0.5-0.8 के बिच में होता है.
- इंडक्शन फरनैन्स) (Indcution Furnance का पॉवर फैक्टर 0.70-0.85 के बिच में होता है.
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इस पोस्ट में हमने देखा पॉवर फैक्टर क्या है, पॉवर फैक्टर कैसे निकालते है,पॉवर फैक्टर के प्रकार,कम पॉवर फैक्टर होने के कार. अगर यह पोस्ट आपको अच्छी लगी तो कमेंट में जरुर लिखिए और कोई सुजाव होगा तो भी लिखियें ||धन्यवाद🙏||
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